Lata Mangeshkar: स्वर कोकिला की पहली पुण्यतिथि आज, 36 भाषाओं में दी अपनी आवाज, इस गाने ने बदली किस्मत
Lata Mangeshkar Death Anniversary: लता मंगेशकर का बचपन से ही संगीत से गहरा लगाव था. अपने पिता जी से इतना डरती थीं कि अपनी मां को किचन में गाने सुनाया करती.
Lata Mangeshkar: स्वर कोकिला की पहली पुण्यतिथि आज, 36 भाषाओं में दी अपनी आवाज, इस गाने ने बदली किस्मत
Lata Mangeshkar: स्वर कोकिला की पहली पुण्यतिथि आज, 36 भाषाओं में दी अपनी आवाज, इस गाने ने बदली किस्मत
Lata Mangeshkar Death Anniversary: स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आज पहली पुण्यतिथि है. लता दीदी को गए एक साल गुजर गया, लेकिन उनकी यादें आज भी ताजा हैं. 6 फरवरी,2022 को आज ही के दिन उनका निधन हो गया था. 92 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी. अपने आठ दशक से ज्यादा के करियर में उन्होंने 36 भाषाओं में तकरीबन 50,000 से ज्यादा गाने गाए थे.
कलाकारों के परिवार से थीं स्वर कोकिला
लता मंगेशकर की बहन और मशहूर गायिका आशा भोंसले के बारे में तो सभी जानते हैं. लता जी के परिवार में सभी कलाकार थे. उनके पिता एक थिएटर चलाया करते थे. एक दिन उन्होंने लता को गाते हुए सुना और उनकी मां से कहा कि हमारे घर पर ही एक गायक है. उनकी दो छोटी बहनें मीना खाड़ीकर और ऊषा मंगेशकर भी सिंगर हैं.
36 भाषाओं में दी है अपनी आवाज
लता जी ने सिर्फ हिंदी और उर्दू भाषाओं के गानों में ही राज नहीं किया बल्कि सारे देश में 36 भारतीय भाषाओं, मराठी, तमिल, भोजपुरी, कन्नड़ा, बंगाली जैसी कई भाषाओं में अपनी आवाज दी.
पिता ने की भी बेटी के सिंगर बनने की भविष्यवाणी
लता जी जब 13 साल की थीं, तभी उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन हो गया था और लता जी पर पारिवारिक जिम्मेदारी आ गईं थीं. एक बार एक इंटरव्यू में लता जी ने कहा था कि अगर मेरे पिता जिंदा होते तो आज में सिंगर न होती. उन्होंने बताया था कि उनके पिता को लंबे समय तक ये नहीं मालूम था कि लता जी के पास इतनी सुरीली आवाज है. जब उन्हें इस बात का पता चला, तो वो उनकी प्रतिभा को निखारना चाहते थे और बेटी लता से गीत सुनाने के लिए कहा करते थे, लेकिन लता जी को पिता से बहुत शर्म लगती थी और वे रसोई में अपनी मां के पास भाग जाया करती थीं. लेकिन पिता उनकी आवाज से ये भांप गए थे कि उनकी बेटी एक समय बाद बहुत बड़ी सिंगर बनेगी.
गुलाम हैदर ने दिया था पहला ब्रेक
बॉलीवुड फिल्म कंपोजर गुलाम हैदर ने लता को पहला ब्रेक दिया. हालांकि वह पार्टीशन के बाद लाहौर चले गए. उन्होंने लता को फिल्म मजबूर 1948 में गाना "दिल मेरा तोड़ा" गाने को अपनी आवाज देने की पेशकश की.
इस गाने ने बदल दी किस्मत
लता जी के रिजेक्शन की बात मास्टर गुलाम हैदर को पसंद नहीं आयी और उन्होंने लता को स्टार बनाने की ठान ली. साल 1948 में लता को फिल्म ‘मजबूर’ में मास्टर गुलाम हैदर में एक गाना गवाया, गाने के बोल थे ‘दिल मेरा तोड़ा’. ये गाना काफी हिट हुआ और इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
पहले गीत से हुई थी 25 रुपए की कमाई
लता मंगेशकर ने सिर्फ 13 साल की उम्र में फिल्म 'पहिली मंगलागौर' से डेब्यू किया था और उनकी पहली कमाई 25 रुपए थी. 18 साल की उम्र में मास्टर गुलाम हैदर ने फिल्म 'मजबूर' के गीत से लता जी को पहचान मिली. इस फिल्म में लता जी को मुकेश के साथ गाना गाने का भी मौका मिला था. फिल्म के बोल थे 'अंग्रेजी छोरा चला गया'. इसके बाद लता जी ने इंडस्ट्री के लिए हजारों गीत गाए और गायिकी के लिए कई विश्व रिकॉर्ड बनाए.
कुकिंग की शौकीन थीं लता
लता जी की सिंगिंग के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन कम लोग जानते हैं कि वे कुकिंग की भी शौकीन थीं. कहा जाता है कि लता जी चिकन और हलवा बहुत अच्छा बनाती थीं. जिसने भी उनके हाथ का चिकन खा लिया, वो उस स्वाद को कभी भुला नहीं पाया. इसके अलावा लता जी खाने पीने की बहुत शौकीन थीं. सी फूड खासकर गोवा की फिश और समुद्री झींगे उन्हें बहुत पसंद थे. इसके अलावा केसर जलेबी भी उन्हें बेहद प्रिय थी.
Lata Mangeshkar (Nightingale of India) को इन पुरस्कारों से नवाजा गया
- 1959: बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर पुरस्कार (मधुमति)
- 1963: बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर पुरस्कार (बीस साल बाद)
- 1966: बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर पुरस्कार (खानदान)
- 1966: मराठी फिल्म सधी मानस के लिए बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का अवॉर्ड इसमें उन्होंने ‘आनंदघन’ नाम से संगीत दिया था
- 1966: सधी मानस के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर
- 1969: पद्म भूषण
- 1970: बेस्ट प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर पुरस्कार (जीने की राह)
- 1972: फिल्म परिचय के गीतों के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
- 1974: रॉयल अल्बर्ट हॉल लंदन में परफॉर्मेंस देने वाली पहली भारतीय बनीं
- 1974: भारतीय संगीत के इतिहास में सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने पर लता मंगेशकर का नाम 1974 में गिनीज रिकॉर्ड में दर्ज किया गया
- 1974: फिल्म कोरा कागज के गीतों के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
- 1977: जैत रे जैत के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर
- 1989: दादा साहब फाल्के पुरस्कार
- 1989: पद्म विभूषण
- 1990: श्री राजा-लक्ष्मी फाउंडेशन, चेन्नई द्वारा राजा-लक्ष्मी पुरस्कार
- 1990: फिल्म ‘लेकिन’ के गीतों के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
- 1993: लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
- 1994: फिल्मफेयर स्पेशल अवॉर्ड
- 1996: स्टार स्क्रीन लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
- 1996: राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार
- 1997: राजीव गांधी पुरस्कार
- 1997: महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार
- 1999: लाइफटाइम अचीवमेंट्स के लिए ज़ी सिने अवॉर्ड
- 1999: एनटीआर राष्ट्रीय पुरस्कार
- 2000: IIFA लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
- 2001: हीरो होंडा और फाइल मैग्जीन “स्टारडस्ट” द्वारा मिलेनियम की बेस्ट प्लेबैक सिंगर (महिला)
- 2001: भारत रत्न
- 2001: महाराष्ट्र रत्न (पहला प्राप्तकर्ता)
- 2002: आशा भोसले पुरस्कार (प्रथम प्राप्तकर्ता)
- 2004: फिल्मफेयर स्पेशल अवॉर्ड
- 2007: फ्रांस सरकार ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार (ऑफिसर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर) से सम्मानित किया
- 2008: लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए वन टाइम अवॉर्ड
- 2009: एएनआर राष्ट्रीय पुरस्कार
- 2019: भारत सरकार ने सितंबर 2019 में उनके 90वें जन्मदिन पर उन्हें डॉटर ऑफ द नेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया.
10:39 AM IST